Tuesday, December 14, 2010

युगलगीतःसजना ओय सजना तुम इतने देर से क्यूं आये?

युगलगीतः सजना ओय सजना तुम इतने देर से क्यूं आये?


लडकी:
सजना ओय सजना तुम इतने देर से क्यूं आये?
आये तो आये तुम खाली हात आये! ||धृ||

लडका:
देर हो गयी माफ कर देना
इतनीसी बात पर गुस्सा ना होना
आये तो हम आपहीके लिये आये

लडकी:
तुम इतने देर से क्यूं आये? ||१||

चलो जाने दो
आज कहाँ जाये खाने खाना?
मै जो बोलूंगी वही तुम्हें है मंगवाना

लडका:
ठिक है बाबा, ये भी मान लिया
क्यूं न आज ढाबे में खाना खाने जाये?

लडकी:
तुम इतने देर से क्यूं आये? ||२||

एक बात बोलो
करते हो ना प्यार सच्ची मुझसे
या दिल दे दिया और किसीसे

लडका:
ये क्या कहेती हो!
ऐसा क्यूं तुम सोचती हो?
अरे हम आपहीसे सदा प्यार करे

लडकी:
तुम इतने देर से क्यूं आये? ||३||

बडे भोले हो, बडे बुद्धू हो
ये तो केवल था एक बहाना
मुझे मालूम है की तुम मेरे लिए आहें भरे
फिरभी तुम इतने देर से क्यूं आये? ||४||

- पाषाणभेद (दगडफोड्या)
२४/११/२०१०

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